हरियाणा संस्कृत विद्यापीठ

केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, जनकपुरी नई दिल्ली से सम्बद्ध







प्रिंसिपल का संदेश



डॉ. पशुपतिनाथ मिश्र

हरियाणा संस्कृत विद्यापीठ की स्थापना 1978 मे बघोला जिला गुड़गांव (हरियाणा) में की गई थी। यह पलवल शहर (वर्तमान में जिला) के पास NH2 दिल्ली मथुरा रोड पर स्थित है। इसके पास 14 एकड़ ज़मीन है। 1955 से यह एक संस्कृत पाठशाला थी, जो स्थानीय जनता द्वारा एकत्रित अंशदायी निधि से पंडित ननुवा राम भगत और डॉ. हुकुम चंद शास्त्री के मार्गदर्शन में लक्ष्मी नारायण मंदिर बाघोला में संचालित की जाती थी। 1962 में विद्याप्रचारिणी सभा बाघोला ने इस पाठशाला को हरियाणा संस्कृत विद्यापीठ, बाघोला में विकसित करने के लिए आगे आई। उन्होंने बुनियादी संस्कृत सीखने को बढ़ावा देने के लिए यह पवित्र और बुद्धिमानी भरा कदम उठाया।

वर्ष 1978 में, भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा संस्थापक प्राचार्य डॉ. हुकुम चंद शास्त्री की देखरेख में विद्यापीठ को आदर्श संस्कृत महाविद्यालय घोषित किया गया। इसका उद्देश्य, संस्कृत शिक्षा प्रदान करने और उसे बेहतर बनाने तथा पारंपरिक संस्कृत क्षेत्र में उच्च संस्कृत शिक्षा की गति को तेज करने के लिए इसे आदर्श संस्कृत महाविद्यालय के रूप में संचालित करना था।

हमारे विद्यापीठ में हम जाति, समुदाय और धर्म आदि का कोई पक्षपात किए बिना छात्रों को पढ़ाते हैं। पारंपरिक संस्कृत विषयों के साथ-साथ यहां अंग्रेजी, हिंदी, कंप्यूटर, इतिहास जैसे आधुनिक विषय भी पढ़ाए जाते हैं।

हमारे पूर्व छात्र पूरे भारत में विभिन्न क्षेत्रों में प्रतिष्ठित पदों पर कार्य करके इसकी आन-बान-शान को फैला रहे हैं। निकट भविष्य में इसे केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय-नई दिल्ली का परिसर घोषित किया जाना है। सभी औपचारिकताएं पूरी हो चुकी हैं। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि यह कार्य शीघ्र पूरा हो तथा हमारा विद्यापीठ उन्नति के पथ पर अग्रसर हो।

 
-->